Mental Illness Awareness- भूत-प्रेत या टोटका नहीं, यह मन का रोग है

Dr. Rameez Shaikh
4 min readDec 11, 2020

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मैने अक्सर विशेष रूप से ग्रामीण परिवेश वाले लोगों को मानसिक रोगों के इलाज के लिए किसी डोरे या जंतर करने वाले बाबा, भोपा, फ़क़ीर , तांत्रिक के पास जाते हुए पाया है। इसके पीछे दो महत्वपूर्ण कारण है, पहला कि मनोरोगों के लक्षणों का किसी भूत प्रेत बाधा जैसा होना जैसे कि शरीर मे कोई प्रवेश कर गया हो, या बार बार बेहोशी, दांत चिपकना, शरीर अकड़ना, उल्टी पलटी या पुरानी बातें करना, सांस फूलना इत्यादि। और दूसरा कारण जिसे कि आसानी से ठीक किया जा सकता है वो है मनोरोगों के प्रति समाज में अज्ञानता और रूढ़िवादिता। मैने देखा है कि लोग मानने को ही तैयार नहीं होते कि मानसिक रोग उन्हें या उनके किसी परिजन को हो सकता है। पहले जब विज्ञान का इतना प्रसार नहीं था तो हमारे पूर्वजों ने एक आस्था के तौर पर शायद डोरा जंतर शुरू किया होगा, किन्तु अब वह आस्था न रह कर पूर्ण रूप से व्यावसायिक हो गया है। कई कई मरीज तो अपनी जमीन बेचने या उधार पैसा लेने पर मजबूर हो जाते हैं।

एक बार इन चक्करो में गए नहीं कि आपको तुरंत इतना भूत पिशाच के नाम पर डरा दिया जाता है कि मजबूर हो कर परिवार वालों को उनकी हर मांग जैसे रुपये, घी, हवन सामग्री आदि चढ़ानी पड़ती है। मैं यह भी मानता हूं कि परेशान व्यक्ति आराम कि तलाश में कहीं भी जाता है, किन्तु आज के इस वैज्ञानिक युग में हम किसी के भी पास जाने से पहले सोचें तो सही कि क्या वह वास्तव में सही है? क्या भूत प्रेत का कोई वैज्ञानिक प्रमाण है? क्या किसी ने उन्हें अपनी आंखों से देखा है ठीक वैसे जैसे कि हम दूसरे इंसानो या वस्तुओं को देखते है। एक गांव में तो मुझे यह तक कहा गया कि डॉक्टर साब, ये गांव की बाते है भूतों की, ये आप शहर वाले नहीं समझोगे। अरे भाई जब भूत होते ही नहीं तो समझेंगे कैसे? अक्सर गांव के बाहर पींपल के पेड़ या पुरानी किसी हवेली में भूत होने की बातें की जाती है। जबकि सच्चाई यह होती है कि ऐसी सुनसान जगहों पर असामाजिक तत्व अपना डेरा डाले रहते है और वे नहीं चाहते कि वहां कोई आये। हमें आज के युग में समझना होगा कि क्या सच है और क्या झूठ। अक्सर बाबा लोग पानी मे सोडियम डाल के आग लगा देते है और नारियल को तोड़ उसमें चूहा बंद करके, उसे जमीन पर इस प्रकार गुड़का देते है कि आपको लगे कि नारियल में प्रेतात्मा आ गयी है। या फिर आग में मिर्ची का धुआं करके प्रेतात्मा भगाने का ढोंग करते है किंतु वो ये जानते है कि कुछ खास तरह के मानसिक रोग से ग्रसित व्यक्ति को कोई दर्द जैसे कि मिर्ची का धुँआ आंख में डालना, या गर्म चिमटा चिपकाने से कुछ समय के लिए रोगी उस दर्द से मुक्ति पाने के लिए लक्षणों को छुपा लेता है किंतु ज्यादातर मामलों में कुछ समय बाद ही वो लक्षण वापिस प्रकट हो जाते हैं और फिर एक नए तांत्रिक के पास जाने का सिलसिला शुरू हो जाता है।

कुछ मामलों में मैने यह भी देखा है कि कुछ तांत्रिक ऐसा कह देते है कि ऊपर वाली हवा का या आत्मा का इलाज तो मैने कर दिया है अब आप बाकी का इलाज किसी मनोचिकित्सक के पास जा कर करवा लो। क्योंकि वो स्वयं जानते है कि है तो असल मे मानसिक रोग , जो डॉक्टरी इलाज़ से ही ठीक होगा, परन्तु मेरे से विश्वास ना छूटे इसलिए कुछ मैं कर देता हूं, बाकी इलाज़ तो मनोचिकित्सक कर ही देंगे। साथियों आप सभी से मेरा अनुरोध है कि इस प्रकार के मानसिक रोगों को समय पर पहचानें और जितना जल्दी हो सके मनोचिकित्सक से मिलें क्योंकि जितना जल्दी रोग का इलाज शुरू होगा, उतना ही जल्दी और कम दवा में इलाज़ संभव होगा। हाँ कई बार रोग इस प्रकृति का होता है कि बार बार लक्षण आते है, इलाज़ लम्बा चलता है। घबराएं नहीं, जैसे टीबी की बीमारी भी तो बार बार हो सकती है, लंबा इलाज़ मांगती है ठीक वैसे ही कुछ मानसिक रोगों में लक्षण बार बार आते है और इलाज़ लम्बा चलता है। धीरज पूर्वक इलाज़ लीजिये, कोई दिक्कत हो तो वापिस मनोचिकित्सक से मिलिए, आपकी हर समस्या का समाधान निश्चित तौर पर होगा। आशा करता हूँ मेरा यह लेख किसी के अमूल्य जीवन, समय, धन को बचाने में मददगार होगा।

Mind & Mood Clinic, Nagpur

डॉ रमीज़ शेख़
MBBS, MD, MIPS
मानसिक रोग, काउंसलर, नशामुक्ति एवं सेक्स रोग विशेषज्ञ
Ex Psychiatrist AIIMS, Jodhpur

www.hellomind.in

contact : 8208823738

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Dr. Rameez Shaikh
Dr. Rameez Shaikh

Written by Dr. Rameez Shaikh

Consultant Psychiatrist, Psychotherapist and Sexologist at Mind & Mood Clinic, Nagpur

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